IPC 304A in Hindi - News - आईपीसी की धारा 304क - समाचार
भारतीय दंड संहिता की धारा 304क (304A) "उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना", को 1870 में अधिनियम संख्या 27 द्वारा प्रस्तावित किया गया, इसे धारा 304 के अंतर्गत रखा गया, जोकि गैर-इरादतन हत्या के अपराध को तथा उसके अंतर्गत मिलने वाले दंड को परिभाषित करती है। धारा 304क में उतावलेपन से (Rash) या उपेक्षापूर्ण (Negligent) कार्य से हुई किसी व्यक्ति की मृत्यु के लिए दंड का प्रवधान किया गया है।
इस धारा का प्रयोग प्रायः हर उस धटना या दुर्घटना के साथ होता है जहां पर किसी की लापरवाही या उतावलेपन से किसी व्यक्ति की जान की हानि होती है। धारा 304 क का प्रयोग, चाहे वह सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु हो या सड़क के गटर में गिरने से या सदर बाजार दिल्ली की आग में जलने वाले दादी पोता की मृत्यु हों या सूअर द्वारा बीस दिन के बच्चे पर हमला कर मारने की घटना हो या बिल्डर द्वारा लापरवाही बरतने से हुई मृत्यु हो या डॉक्टर द्वारा लापरवाही बरतने से, इस तरह के अधिकतर मामलों में आईपीसी की धारा 304क का प्रयोग होता है, यह बात अलग है कि मामले की मांग को देखते हुए धारा 304क के साथ दूसरी अन्य धाराएं जोड़ दी जाएं।
धारा 304A के अंतर्गत आने वाले अपराध गैर-समझौतावादी है, इसमें दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का प्रवधान है और पुलिस को शिकायत मिलने पर पुलिस इसका संज्ञान ले सकती है, जमानती धारा होने के कारण इसमें तुरंत जमानत भी मिल जाती है।
इस धारा का प्रयोग प्रायः हर उस धटना या दुर्घटना के साथ होता है जहां पर किसी की लापरवाही या उतावलेपन से किसी व्यक्ति की जान की हानि होती है। धारा 304 क का प्रयोग, चाहे वह सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु हो या सड़क के गटर में गिरने से या सदर बाजार दिल्ली की आग में जलने वाले दादी पोता की मृत्यु हों या सूअर द्वारा बीस दिन के बच्चे पर हमला कर मारने की घटना हो या बिल्डर द्वारा लापरवाही बरतने से हुई मृत्यु हो या डॉक्टर द्वारा लापरवाही बरतने से, इस तरह के अधिकतर मामलों में आईपीसी की धारा 304क का प्रयोग होता है, यह बात अलग है कि मामले की मांग को देखते हुए धारा 304क के साथ दूसरी अन्य धाराएं जोड़ दी जाएं।
धारा 304A के अंतर्गत आने वाले अपराध गैर-समझौतावादी है, इसमें दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का प्रवधान है और पुलिस को शिकायत मिलने पर पुलिस इसका संज्ञान ले सकती है, जमानती धारा होने के कारण इसमें तुरंत जमानत भी मिल जाती है।
1. धारा 304A मामले में समझौता होने पर भी मामला निरस्त नहीं हो सकता।
2. धारा 304A ref-
3. गैर-जमानती अपराध पर जमानत के लिए धारा 437.
4. जमानती अपराध पर जमानत के लिए धारा 436.
5. जमानती अपराधों पर जमानत।
2. धारा 304A ref-
3. गैर-जमानती अपराध पर जमानत के लिए धारा 437.
4. जमानती अपराध पर जमानत के लिए धारा 436.
5. जमानती अपराधों पर जमानत।
इस धारा से जुड़े कुछ समाचार:
दिल्ली: मां की गोद से नवजात को झपट ले गया सुअर। 04 NOV 2017
दिल्ली के भाटी माइन्स इलाके में एक बेहद दर्दनाक घटना हुई है। एक सूअर ने 20 दिन की बच्ची को मां की गोद से उस समय झपट लिया जब माँ बच्ची को दूध पिला रही थी। इस हमले में घायल बच्ची को अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। परिवार वालों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने सुअर के मालिक के खिलाफ आईपीसी की धारा 289/304A के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस अब सुअर मालिक की तलाश कर रही है।#Delhi: Pig mauls 18-day-old girl to death in Bhatti Mines. Case registered against unknown people under IPC Sections 289 and 304A.
— ANI (@ANI) November 4, 2017