IPC 384 in Hindi - भारतीय दण्ड संहिता की धारा 384 - Punishment for extortion
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 384
उद्दापन के लिए दंड-- जो कोई उद्दापन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
PUNISHMENT & CLASSIFICATION OF OFFENCE | |||
उद्दापन के लिए दंड | तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय या काग्निज़बल | गैर-जमानती |
विचारणीय : किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा | कंपाउंडबल अपराध की सूचि में सूचीबद्ध नहीं है। |
IPC 384 - English
Punishment for extortion.-- Whoever commits extortion shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.
PUNISHMENT & CLASSIFICATION OF OFFENCE | |||
Punishment for extortion. | Imprisonment may extend to three years or Fine or both | Cognizable | Non-Bailable |
Triable By: Any Magistrate | Offence is NOT listed under Compoundable Offences |
यदि कोई भी, किसी व्यकित को या उससे संबंधित किसी व्यक्ति को, उसके जीवन को या उसे शारीरिक रूप से या उसकी प्रतिष्ठा को किसी भी प्रकार से क्षति या हानि पहुंचाने का डर दिखाकर उससे किसी प्रकार की मुद्रा, सम्पति, मूलयवान प्रतिभूति या कोई भी ऐसी वस्तु जो मूलयवान है की बईमानी से मांग करता है या मांग के बदले हानि के लिए धमकाता है तो वह जबरन वसूली के अपराध को करता है जोकि आई.पी.सी. की धारा 383 में परिभाषित की गई है। धारा 383 में इसका विस्तार से उल्लेख है। यह एक संज्ञेय या काग्निज़बल अपराध है, मतलब यह कि शिकायत होने पर पुलिस इस पर तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और इस अपराध के गैर-जमानती होने के कारण तुरंत जमानत नहीं मिल सकती है। इस धारा के अंतर्गत दोषीं सिद्ध होने पर तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से सजा का प्रावधान है।
आई.पी.सी. की धारा 384 का मामला जो सुर्खियों में रहा : 1. अक्टूबर 2016 में ठाणे, मुंबई के एक कॉल-सेंटर के लगभग 600 कर्मचारियों पर ठगी और जबरन उगाही का आरोप लगा था और इस पर ठाणे पुलिस ने कार्यवाही करते हुए नौ काल सेंटर के 70 कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया था और लगभग 630 कर्मचारियों पर मामला दर्ज किया गया था। यह मामला एक अमेरिकी महिला से जुड़ा हुआ था जिसमे कॉल-सेंटर के कर्मचारी द्वारा महिला से कुछ मांग की गई थी और उस मांग को महिला ने पूरा करने से इंकार कर दिया और उसके बाद उसे दिल का दौरा पड़ गया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद जब पड़ताल हुई तो कॉल-सेंटर की कॉल रिकार्ड से यह बात सामने आने पर ठाणे पुलिस ने कॉल-सेंटर के अधिकारीयों पर आई.पी.सी. की धारा 419 (गलत पहचान बताकर धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 34 और 384 (जबरन वसूली) के तहत मामला दर्ज किया।